मोदी सरकार ने दी बिजली वितरण कंपनियों को बड़ी राहत, वर्किंग कैपिटल लिमिट में इजाफा किया
पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और आरईसी को 25 प्रतिशत कार्यशील पूंजी सीमा से अधिक कर्ज देने की अनुमति दी गयी है.
बिजली क्षेत्र में समस्या है. बिजली खपत में नरमी है. वितरण कंपनियां बिल इकट्ठा नहीं कर पा रही हैं.
बिजली क्षेत्र में समस्या है. बिजली खपत में नरमी है. वितरण कंपनियां बिल इकट्ठा नहीं कर पा रही हैं.
सरकार ने उदय-UDAY (उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना-Ujwal DISCOM Assurance Yojana) योजना के तहत वितरण कंपनियों के लिये कर्ज लेने को लेकर कार्यशील पूंजी सीमा नियम में एक-बारगी ढील देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. वितरण कंपनियों के लिए यह कर्ज सुविधा 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराये जाने की योजना का हिस्सा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बिजली क्षेत्र में समस्या है. बिजली खपत में नरमी है. वितरण कंपनियां बिल इकट्ठा नहीं कर पा रही हैं. इसको देखते हुए पीएफसी (पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन) और आरईसी को 25 प्रतिशत कार्यशील पूंजी सीमा से अधिक कर्ज देने की अनुमति दी गयी है. इससे राज्यों की वितरण कंपनियों के पास नकदी बढ़ेगी.
कार्यशील पूंजी सीमा पिछले साल की आय का 25 प्रतिशत है. अब इस सीमा में ढील दी गयी है.
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सीसीईए ने वितरण कंपनियों को उदय योजना (UDAY Scheme) के तहत पिछले साल की आय के 25 फीसदी कार्यशील पूंजी सीमा से अधिक कर्ज देने के लिये पीएफसी और आरईसी लिमिटेड को एक-बारगी छूट दे दी है. एक बारगी छूट से बिजली क्षेत्र को नकदी उपलब्ध कराने और वितरण कंपनियों द्वारा भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा.
कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लॉकडाउन से बिजली क्षेत्र (Power sector) के लिए नकदी की समस्या बढ़ी है. एक तरफ जहां बिजली बिल की वसूली में समस्या हुई वहीं दूसरी तरफ जरूरी सर्विस के कारण बिजली की सप्लाई बनाए रखी गई.
लॉकडाउन के दौरान बिजली की खपत में काफी कमी आयी है. आर्थिक गतिविधियों में तेजी और बिजली मांग में बढ़ोतरी में कुछ समय लगेगा, ऐसे में बिजली सेक्टर में नकदी के मोर्चे पर स्थिति अल्पकाल में नहीं सुधरेगी. इसीलिए बिजली सप्लाई बनाये रखने के लिए बिजली क्षेत्र में नकदी डाले जाने की तत्काल जरूरत है.
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में कोविड-19 राहत पैकेज के तहत नकदी संकट और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लॉकडाउन के कारण मांग में कमी से जूझ रही वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराये जाने की घोषणा की थी.
हालांकि कुछ वितरण कंपनियां पैकेज के तहत कर्ज लेने के लिये पात्र नहीं थी क्योंकि वे उदय योजना के तहत कार्यशील पूंजी सीमा नियमों को पूरा नहीं कर रही थीं.
उदय योजना के तहत बैंक और फाइनेंस कंपनियां बिजली वितरण कंपनियों की पिछले साल की आय के 25 प्रतिशत तक ही कार्यशील पूंजी कर्ज दे सकते थे.
यह पाबंदी उदय योजना का हिस्सा थी. कर्ज में फंसी वितरण कंपनियों को पटरी पर लाने के प्रयास के तहत नवंबर 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उदय योजना को मंजूरी दी थी.
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इसके अलावा, वितरण कंपनियां पैकेज के तहत राज्यों से प्राप्त होने वाली राशि के एवज में कर्ज ले सकती थी ताकि वे बकाये का निपटान कर सके. लेकिन कुछ वितरण कंपनियों के पास दोनों प्रावधानों के अंतर्गत गुंजाइश नहीं थी.
इसीलिए, बिजली मंत्रालय ने कार्यशील पूंजी सीमा नियम में ढील देने का प्रस्ताव किया ताकि ये वितरण कंपनियां पैकेज के तहत कर्ज ले सके और बकाये का भुगतान कर सके.
09:30 PM IST